गोरक्षा के नाम पर भीड़ हिंसा पर लगाम लगाने की जिम्मेदारी राज्यों की : सुप्रीम कोर्ट

गोरक्षा के नाम पर देशभर में हो रही भीड़ हिंसा पर देश की सर्वोच्च अदालत ने सख्त रुख अपनाते हुए कहा कि किसी को भी कानून अपने हाथ में लेने की इजाजत नहीं है। इसके साथ ही सर्वोच्च अदालत ने कहा कि भीड़ हिंसा पर लगाम लगाने की जिम्मेदारी राज्यों की है।

गोरक्षा के नाम पर हो रही भीड़ हिंसा पर रोक लगाने के संबंध में दिशानिर्देश जारी करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल की गई थी। अदालत ने इस मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है।

मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायाधीश एएम खानविलकर और डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ ने कहा कि यह कानून एवं व्यवस्था का मामला है और इसकी जिम्मेदारी संबंधित राज्यों की है। पीठ ने कहा कि वह इस मामले में एक विस्तृत फैसला सुनाएगी। सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा कि हिंसा की घटनाएं वास्तव में भीड़ हिंसा के मामले हैं, जो कि अपराध है।

अतिरिक्त सॉलीसिटर जनरल पीएस नरसिम्हा ने कहा कि केंद्र इन मामलों पर नजर बनाए हुए है और इन पर लगाम लगाने की भी कोशिशें कर रहा है। उन्होंने कहा कि सबसे बड़ी समस्या कानून एवं व्यवस्था को बनाए रखने की है। वहीं पीठ ने कहा कि किसी को भी कानून अपने हाथ में लेने की इजाजत नहीं है और ऐसी घटनाओं पर लगाम लगाने की जिम्मेदारी राज्यों की है।

पिछले साल 6 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों से कहा था कि वे गोरक्षा के नाम पर हिंसा को रोकने के लिए सख्त कदम उठाएं। इसके बाद महात्मा गांधी के परपोते तुषार गांधी ने कोर्ट में एक अवमानना याचिका दाखिल की। याचिका में उन्होंने हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश पर कोर्ट के आदेश का पालन न करने का आरोप लगाया।

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