जन्मदिन विशेष- ई. श्रीधरन ने ‘मैट्रो मैन’ के नाम से बनाई पहचान
भारत के ”मेट्रो मैन” कहे जाने वाले ई. श्रीधरन एक प्रसिद्ध रिटायर्ड सिविल इंजीनियर हैं। उनके अद्भुत नेतृत्व की वजह से भारत का ट्रांसपोर्ट सिस्टम पूरी तरह से बदल गया है। देश के कई प्रोजेक्ट जो इतने लेट हो चुके थे कि तय समय सीमा में पूरे नहीं हो सकते थे। उन्हें श्रीधरन की कार्य कुशलता की वजह से तय वक्त के अंदर ही पूरा किया गया। देश के लिए किये गए कई महत्वपूर्ण कार्यों की वजह से भारत सरकार ने उन्हें पद्म श्री और पद्म विभूषण जैसे कई पुरस्कारों से सम्मानित किया है। वही साल 2013 में जापान ने उन्हें अपने सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘ऑर्डर ऑफ द राइजिंग सन- गोल्ड एंड सिल्वर स्टार’ से भी सम्मानित किया। श्रीधरन का जन्म 12 जून साल 1932 को केरल के पलक्कड़ में हुआ था। उनके जन्मदिन पर हम लाए हैं उनसे जुड़े कुछ दिलचस्प तथ्य-
🔶 उन्होंने बेसेल इवैंजेलिकल मिशन हायर सेकेंडरी स्कूल से शिक्षा प्राप्त करने के बाद विक्टोरिया कॉलेज, पालघाट से पढ़ाई की। उसके बाद इंजीनियरिंग की डिग्री उन्होंने गवर्नमेंट इंजीनियरिंग कॉलेज, काकीनाडा से प्राप्त की।
🔶 ये कुछ दिनों तक कोझिकोड के पॉलिटेक्निक कॉलेज में सिविल इंजीनियरिंग के व्याख्याता भी रहे। फिर भारतीय रेलवे के इंजीनियरिंग सेवा में नियुक्त हुए। 1956 में दक्षिण रेलवे में असिस्टेंट इंजीनियर के रुप में पहले प्रोजेक्ट की शुरुआत की।
🔶 साल 1964 में जब रामेश्वरम और तमिलनाडु को जोड़ने वाला पम्बन पुल टूट गया तो रेलवे ने इसे बनाने के लिए 6 महीने का समय दिया, लेकिन श्रीधरन ने इसे सिर्फ 46 दिनों में ही पूरा कर दिया। इस उपलब्धि पर रेलवे ने उन्हें पुरस्कार से भी सम्मानित किया।
🔶 साल 1970 में कोलकाता मेट्रो प्रोजेक्ट के जरिये श्रीधरन ने भारत में पहली माडर्न इंफ्रास्ट्रक्चर इंजीनियरिंग टेक्नोलॉजी की नीव रखी।
🔶 साल 1979 के अक्टूबर में उन्होंने कोचीन शिपयार्ड में ज्वाइन किया। शिपयार्ड के पहले जहाज़ एम. वी. रानी. पद्मिनी के निर्माण कार्य को 2 साल में पूरा कर दिया।
🔶 1990 ई. में रिटायरमेंट के बाद इन्हें कई मायनों में अनूठे रहे कोंकण रेलवे प्रोजेक्ट का सीएमडी नियुक्त कर दिया गया। उनके नेतृत्व एंव निर्देशन में कम्पनी ने इस कार्य को 7 वर्षों में ही पूरा कर लिया।
🔶 वर्ष 2005 में उन्हें दिल्ली मेट्रो रेल कार्पोरेशन का प्रबंध निर्देशक बनाया गया। यह प्रोजेक्ट साल 1998 में पूरा होना था पर इसके प्रथम चरण के सभी निर्धारित खण्ड 1997 के मध्य तक पूरे हो गए। तभी उन्हें ”मेट्रो मैन” का नाम मिला और फ्रांस सरकार ने 2005 में उन्हें ‘लीजन ऑफ़ हॉनर’ से सम्मानित किया।
🔶 श्रीधरन साल 2011 में दिल्ली मेट्रो के एमडी पोस्ट से रिटायर्ड हुए पर उसके बाद वो आज भी भारत सरकार के कई प्रोजेक्ट्स में शामिल हैं। श्रीधरन भारत के भूतपूर्व चुनाव आयुक्त टी.एन. शेषन के सहपाठी रहे हें। 2003 में टाइम पत्रिका ने उन्हें ‘वन ऑफ एशियाज हीरोज’ सूची में शामिल किया।
🔶 श्रीधरन नियमित तौर पर गीता पढ़ते हैं। दिल्ली मेट्रो प्रोजेक्ट के दौरान उन्होंने टीम के साथियों को भी गीता पढ़ने की सलाह दी। उनका कहना है कि गीता का ज्ञान हमें नि:स्वार्थ होकर अपने काम पर फोकस करने की प्रेरणा देता है।
🔶 खुद कभी लेट न होना और एक-एक मिनट का सही इस्तेमाल करना श्रीधरन की आदत में शुमार है। वह बताते हैं, अगर कोई मेट्रो 60 सेकंड की देरी से चल रही है, तो वह लेट है।
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