विंग कमांडर अनुमा आचार्य, समाजसेवी राजश्री सिंह और शिक्षाविद अरूणा नंदा आप में शामिल

भोपाल, 6 अक्टूबर। आम आदमी पार्टी से पूर्व सैन्यकर्मियों, समाजसेवियों और शिक्षाविदों के जुडऩे का सिलसिला लगातार जारी है। इसी की ताजा कड़ी में शनिवार को प्रदेश कार्यालय में एक सादे और गरिमापूर्ण समारोह में पूर्व विंग कमांडर अनुमा आचार्य, समाजसेवी राजश्री सिंह और शिक्षाविद अरुणा नंदा ने आम आदमी पार्टी की सदस्यता ग्रहण की। तीनों शख्सियतों को आप के प्रदेश अध्यक्ष आलोक अग्रवाल ने पार्टी की प्राथमिक सदस्य बनाने की औपचारिकता पूरी की।

इस मौके पर पे्रस को संबोधित करते हुए सुश्री आचार्य ने कहा कि इस समय देश और प्रदेश एक ऐसे दौर से गुजर रहा है, जिसमें हम भविष्य के बड़े बदलाव की नींव रख सकते हैं। इस बदलाव के लिए राजनीतिक सक्रियता बेहद जरूरी है। इसीलिए मैंने आम आदमी पार्टी के साथ बदलाव की इस लड़ाई में अपनी भूमिका निर्धारित करने का फैसला किया है। गौरतलब है कि वे देश की सक्रिय राजनीति में आने वाली सेना की पहली अधिकारी हैं। इससे पहले पुरुष अधिकारी सक्रिय राजनीति में आते रहे हैं, लेकिन किसी महिला अधिकारी की सक्रिय राजनीति में उतरने की यह पहली घटना है।

सुश्री सिंह ने कहा इस मौके पर कहा कि वे लंबे समय से समाज के वंचित तबकों की बेहतरी के लिए काम कर रही हैं। पिछले कुछ सालों में मध्य प्रदेश में राजनीतिक बदलाव और व्यवस्था परिवर्तन के लिए जिस तरह से आम आदमी पार्टी ने तेजी से काम किया है। उससे वे बेहद प्रभावित हैं और आप से जुड़कर समाज की बेहतरी के कामों को बड़े स्तर पर अंजाम देंगी।

सुश्री नंदा ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि इस वक्त युवाओं और खासकर महिलाओं को व्यवस्था परिवर्तन के लिए सक्रिय राजनीति में आना बहुत जरूरी है। इसमें भी अन्य पार्टियों के बजाय आम आदमी पार्टी युवाओं के सपनों को सही ढ़ंग से उड़ान दे सकती है। इसलिए ज्यादा से ज्यादा युवाओं को आम आदमी पार्टी से जुड़कर समाज में अपनी सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए।
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अनुमा आचार्य का परिचय:

विदिशा में 20 जुलाई 1969 को जन्म। इंसान के पहले कदम चंद्रमा पर पडऩे के वक्त। पिता स्व. बृजमोहन आचार्य राज्य वनसेवा द्वारा चयनित राजपत्रित अधिकारी रहे। तीन बहनें- अनुमा, शिल्पा और ऋषिता। 1986 में मां श्रीमती कल्पना आचार्य दुर्घटनाग्रस्त। मस्तिष्क पर गहरा सदमा। इसके बाद कई निजी दुखों और झंझावतों से मुठभेड़। जन्मदिन 20 जुलाई 1989 को ही मां को खोया। एक साल बाद पिता भी नहीं रहे। उसके छह महीनों बाद नानी भी ह्रदयगति के रुकने से चल बसीं। जीवनयापन की जद्दोजहद के चलते पिता के ही विभाग में अनुकम्पा नियुक्ति और कई अन्य रचनात्मक कार्यों के साथ भोपाल युनिवर्सिटी से अपना अधूरा प्रोजेक्ट पूरा करते हुए बायोकेमिस्ट्री में एम. फिल. किया। 1991 के अंतिम माह में भारतीय सेना में महिलाओं की भर्ती के बारे में पढा था और 1992 वर्ष की शुरुआत में ही समाचार पत्रों में विज्ञापन के साथ आवेदन पत्र का प्रारूप भी आ गया। आवेदन पत्र भरा और अच्छे नम्बरों का ट्रैक रिकार्ड होने के कारण वायुसेना में सेलेक्शन के लिये परीक्षा का बुलावा भी आ गया।
प्रशिक्षण के एक साल को मिला कर वायुसेना के शानदार पच्चीस वर्षों में प्रथम श्रेणी राजपत्रित अधिकारी की शानदार नौकरी मिली। यहीं जीवनसाथी कमांडर सौरभ भटनागर मिले। वायुसेना में गुणवत्ता पूर्ण और सम्पूर्ण निष्ठा के साथ किये गये कार्यों की प्रशंसा के तीन बार पुरस्कार और मेडल्स मिले, जिसमें वर्ष 2008 में वायुसेना अध्यक्ष का मेडल सबसे उल्लेखनीय है। 2008 में महिला दिवस के उपलक्ष्य में बहादुर महिलाओं को हर वर्ष दिया जाने वाला ‘गाडफ्रे फिलीप ब्रेवरी अवार्ड भी मिला है। इसी वर्ष 31 मार्च 2018 को “लीगल राइट्स काउंसिल” ने “आदर्श महिला” के अवार्ड से नवाजा।
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राज्यश्री सिंह का परिचय शिक्षा-

एमएसी जूलोजी, एनजीओ- वुमन एजुकेशन एम्पावरमेंट सोसाइटी। कार्यक्षेत्र- सिवनी होशंगाबाद। आपके एनजीओ प्रमुख रूप से महिलाओं को शिक्षित व उनके सशक्तिकरण के लिए काम करता है। आपके द्वारा महिलाओं का कौशल विकास कर उन्हें रोजगार के अवसर प्रदान किये जाने में मदद की जाती है। आपके एनजीओ से जुडी महिलाओं द्वारा बनाये गए हस्थशिल्प उत्पादों को आप देश विदेश में होने वाली प्रदर्शनियों में प्रदर्शित करती है और उनके कारीगरों को उन वस्तुओं के उचित दाम दिलवाती है। वर्तमान में आपके द्वारा “पहचान” नाम का एक कार्यक्रम चलाया जा रहा है जिसके अंतरगत आप गांधीनगर क्षेत्र में आने वाली करीब 35 झुग्गी बस्तियों की महिलाओं के लिए कौशल विकास कार्यक्रम।
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अरुणा नंदा जी का परिचय:

32 वर्षीय अरुणा नंदा भोपाल निवासी हैं। शिक्षा के क्षेत्र में 9 से अधिक वर्षों का अनुभव। एमबीए स्नातक, अरुणा एक कॉर्पोरेट ट्रेनर हैं, जो बिजनेस कम्युनिकेशन में माहिर हैं। उन्होंने आईपीईआर कॉलेज, भोपाल से एमबीए पूरा करने के बाद 2010 में एचआर के रूप में करियर शुरू किया। अक्टूबर, 2010 में एचआर प्रशिक्षण की अपनी कंपनी शुरू की। शून्य से शुरू कर कंपनी को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाई। आईटीईसी नामक कार्यक्रम के तहत बिजनेस कम्युनिकेशन पर 38 देशों के नौकरशाहों को प्रशिक्षित किया। बिजनेस कम्युनिकेशन में भारत के 6000 से अधिक पेशेवरों को प्रशिक्षित किया। 2000 ग्रामीणों को भी संगठित किया। 20 वर्ष की उम्र में फियर फैक्टर शो के लिए चयनित पहली युवा। 2007 में *फियर फैक्टर* के अंतिम दौर में पहुंची।
2016 में किसी भी गियर या उपकरण या गाइड के बिना अकेले 5600 मीटर तक माउंट एवरेस्ट पर चढ़ीं। आज, अरुणा सक्रिय रूप से सरकारी विश्वविद्यालयों और निगमों के छात्रों को प्रशिक्षण दे रही हैं। वह भोपाल के पास गांवों में बड़े पैमाने पर प्रशिक्षण कार्यक्रमों में भी शामिल हैं। वर्तमान में स्कूल की देखभाल कर रही है, जो उसके परिवार द्वारा संचालित है। इसमें 2000 छात्र अध्ययनरत हैं।

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