उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा मदरसों में एनसीईआरटी की किताबें पढ़ाये जाने के फैसले के बाद अब ड्रेस कोड लाने का प्रस्ताव दिया गया है.
सरकार के अल्पसंख्यक मामलों के राज्यमंत्री मोहसिन रजा ने कहा कि सरकार का लक्ष्य है कि मदरसों को अन्य शैक्षणिक संस्थानों की ही तरह देखा जाए. अब तक मदरसों में छात्र कुर्ता पायजामा पहनते थे लेकिन अब ड्रेस कोड इसे अपनी तरह का नया औपचारिक रूप देगा.
हालांकि यह नया ड्रेस कोड क्या होगा, इस बारे में अभी निर्णय नहीं लिया गया है. लेकिन कहा जा रहा है कि सरकार इसके लिए फंड दे सकती है.
सरकार के इस कदम को लेकर हालांकि मिली-जुली प्रतिक्रिया हुई है.
हाल ही में योगी कैबिनेट ने मदरसा शिक्षा में बदलाव को मंजूरी दे दी है. इस निर्णय के बाद मदरसे के छात्र उर्दू के साथ-साथ हिंदी और अंग्रेजी माध्यम से भी पढ़ाई कर सकेंगे. प्रदेश सरकार के प्रवक्ता व ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा के अनुसार मदरसों में दीनी तालीम के अलावा गणित, विज्ञान, अंग्रेजी, कंप्यूटर व सामाजिक विज्ञान जैसे विषयों की पढ़ाई नहीं होती है.
मुरादाबाद, रामपुर और बिजनौर में मदरसे चलाने वाली संस्था जमात उलेमा ए हिन्द के उत्तर प्रदेश प्रमुख अशद रशीदी ने कहा कि हम इस कदम का स्वागत करेंगे बतर्शे यह अच्छा हो. हम देखेंगे कि किस इरादे से ये बदलाव किए जा रहे हैं.
दूसरी ओर, ऑल इंडिया शिया पर्सनल लॉ बोर्ड के प्रवक्ता यासूब अब्बास ने इस बदलाव पर सवाल खड़ा किया है.
अब्बास ने कहा कि पारंपरिक पोशाक पर किसने आपत्ति की. क्या यह सबको स्वीकार्य है? हम इस पक्ष में नहीं हैं कि सरकार छात्रों पर नया ड्रेस कोड जबरन लागू करे.
वहीं मोहसिन रजा का कहना है कि अब तक मदरसे के छात्रों द्वारा पहना जा रहा सफेद कुर्ता पायजामा एक धर्म विशेष को दिखाता है. हम इसलिए नया ड्रेस कोड ला रहे हैं. मदरसा छात्रों का नया ड्रेस कोड अब उन्हें भिन्न दिखने की बजाय अन्य स्कूली छात्रों की ही तरह पेश करेगा.
उन्होंने भाजपा की तारीफ करते हुए यह भी कहा कि केवल भाजपा के नेतृत्व वाली सरकारों ने अल्पसंख्यकों के साथ न्याय किया है, अन्यथा अन्य दल उन्हें केवल वोट बैंक ही समझते हैं.
उन्होंने कहा कि हमारे इरादे स्पष्ट हैं क्योंकि हम पारदर्शी हैं और सबका साथ सबका विकास में यकीन करते हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मुस्लिम समाज को देश की मुख्यधारा में लाना चाहते हैं जहां एक हाथ में कुरान हो तो दूसरे में लैपटॉप.
साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि वे मदरसों में दी जा रही शिक्षा का आधुनिकीकरण करना चाहते हैं.
इससे पहले उत्तर प्रदेश सरकार ने मदरसों में एनसीईआरटी का पाठ्यक्रम लागू करने का निर्णय लिया था.
हालांकि इसके बाद खबर आई कि अप्रैल में नया शैक्षणिक सत्र शुरू हो जाने के बावजूद मदरसों को जुलाई तक पुस्तकें उपलब्ध नहीं करवाई गई हैं.
प्रदेश के 560 शासकीय सहायता प्राप्त मदरसों को सर्वशिक्षा अभियान के तहत कक्षा एक से आठ तक की किताबें मुफ्त उपलब्ध कराई जाती रही हैं, लेकिन इस बार उन्हें पुस्तकें नहीं उपलब्ध कराई गई हैं.
राज्य सरकार ने मई में मदरसों में एनसीईआरटी की किताबें लागू किये जाने का आदेश दिया था. अभी इस बात पर निर्णय नहीं हुआ है कि सर्व शिक्षा अभियान चलाने वाला बेसिक शिक्षा विभाग मदरसों को एनसीईआरटी की पुस्तकें देगा या नहीं?
यूपी के अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मोहसिन रजा अक्सर विवादों में रहते हैं. रजा ने इससे पहले एक बार खुद को हिंदू बता दिया था. रजा ने कहा था, ‘‘हिंदुस्तान में रहने वाला प्रत्येक व्यक्ति हिंदू है, लिहाजा वह खुद भी हिंदू हैं.’’
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