सरकार ने विमान रखरखाव, मरम्मत और निरीक्षण (एमआरओ) के लिए ऑटोमैटिक रूट से 100 प्रतिशत विदेशी प्रत्यक्ष निवेश की अनुमति दी
घरेलू एमआरओ उद्योग और विमानन क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने घोषणा की है कि विमानों के पुर्जों, कंपोनेंट, जांच उपकरणों, औजारों और टूल-किट के आयात पर, चाहे उनका एचएसएन वर्गीकरण कुछ भी हो, 5 प्रतिशत की एकसमान दर से आईजीएसटी लागू होगा, बशर्ते कि यह निर्दिष्ट शर्तों के अधीन हो।
यह नीतिगत बदलाव भारतीय एमआरओ क्षेत्र की प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाने, नवोन्मेषण और दक्षता को बढ़ावा देने तथा एक मजबूत एवं कुशल विमानन क्षेत्र बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
सरकार ने विभिन्न नीति, विनियामक और अन्य प्रोत्साहनों के माध्यम से भारत में विमान रखरखाव, मरम्मत और निरीक्षण (एमआरओ) सेवाओं की स्थापना को सुविधाजनक बनाने के लिए कई कदम उठाए हैं, जिनमें शामिल हैं:
- केंद्रीय बजट 2024-25 में की गई घोषणाओं के तहत, मरम्मत के लिए आयात की गई वस्तुओं के निर्यात की अवधि छह महीने से बढ़ाकर एक वर्ष कर दी गई है। साथ ही, वारंटी के तहत मरम्मत के लिए वस्तुओं के पुनः आयात की समय-सीमा तीन से बढ़ाकर पांच वर्ष कर दी गई है।
- 1 सितंबर, 2021 को घोषित नए MRO दिशानिर्देशों में रॉयल्टी को समाप्त करने और एएआई हवाई अड्डों में MRO के लिए भूमि आवंटन में पारदर्शिता और निश्चितता लाने की बात की गई है।
- 1 अप्रैल, 2020 से एमआरओ पर जीएसटी को पूर्ण इनपुट टैक्स क्रेडिट के साथ 18 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत कर दिया गया है।
- विदेशी मूल उपकरण निर्माताओं (ओईएम)/एमआरओ द्वारा घरेलू एमआरओ को उप-अनुबंधित किए गए लेन-देन को 1 अप्रैल, 2020 से शून्य-रेट किए गए जीएसटी के साथ ‘निर्यात’ माना जाता है।
- औजारों और टूल किटों पर सीमा शुल्क में छूट
- पार्ट्स की सरलीकृत क्लियरेंस प्रोसेसिंग
- MRO के लिए ऑटोमैटिक रूट के माध्यम से 100 प्रतिशत विदेशी प्रत्यक्ष निवेश की अनुमति
यह जानकारी नागरिक उड्डयन राज्य मंत्री श्री मुरलीधर मोहोल ने कल लोक सभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी।