नरेंद्र मोदी और राहुल गांधी के राजीनीतिक दृष्टिकोण के मतभेद

नरेंद्र मोदी और राहुल गाँधी के बीच सबसे बारे अंतर कामदार बनाम नामदार का हैं।

राहुल गाँधी वंशवाद में विश्वास करते हैं। अगर आप सांसद में राहुल गाँधी के आस पास बैठे सांसदों को देखेंगे तो आप पाएंगे की जयादातर सांसद किसी न किसी राजनैतिक परिवार से सम्बन्ध रखते हैं. बीजेपी में भी कुछ नेता राजनैतिक परिवार से है, परन्तु इसकी संख्या काम है। नरेंद्र मोदी सामाज के निचले तबके से ऊपर उठ कर आये है और उनको पता है की गरीबी कैसी होती है।वो मिडिल क्लास से भी अपने आप को जोड़ पाते हैं। परन्तु राहुल गाँधी अपने आप को आम जनता से नहीं जोड़ पाते है।

राहुल गाँधी एक अच्छे व्यक्ति हो सकते है परन्तु मेरा ये मत है की अभी तक राहुल गाँधी का बस एक ही राजनैतिक दृष्टिकोण हैं – जो भी नरेंद्र मोदी का राजनैतिक प्रतिद्वंदी हैं वो राहुल गाँधी का दोस्त हैं। राहुल गाँधी कभी JNU में जा कर “भारत तेरे टुकड़े होंगे” ग्रुप का सपोर्ट करते हैं तो कभी गुजरात में आरक्षण मांगने वाले ग्रुप का सपोर्ट करते हैं। उनका अपना कोई राजनैतिक दृष्टिकोण मुझे नहीं दिखाई देता हैं। वो कभी हिन्दू धर्म को बाटने का प्रयास करते हैं तो कभी जेनऊ धारी हिन्दू बन जाते हैं।

दूसरी ओर नरेंद्र मोदी पर तानाशाह होने का आरोप लगाया जाता हैं। लेकिन में इस आरोप से सहमत नहीं हूँ। मोदी का एक दृष्टिकोण हैं। जिसमें वो भारत को एक विकसित देश बनाना चाहते हैं। आज भारत को एक मजबूत नेता की जररूरत हैं और शायद इंदिरा गाँधी के बाद इतना मजबूत नेता पहली बार देश को मिला हैं। आखिरकार मोदी एक राजनेता हैं हैं उनको भी बहुत सारे समझौते करने पार्टी हैं। इस गाँधी राजनीती में आप हरिश्चंद्र बन कर सत्ता नहीं प्राप्त कर सकते हैं। मोदी बीजेपी को मजबूत करना चाहते हैं और इसके लिए वो अपने सहयोगियो की भी कभी कभी परवाह नहीं करते हैं। मेरा ये मानना हैं की मोदी के नेतृतव में देश आगे बढ़ रहा हैं।

अचल गौतम द्वारा

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