लोकतंत्र का ‘तकाजा’ या “तमाशा”?

उज्जैन से निरुक्त भार्गव की रिपोर्ट:- राजनीतिक पार्टियां RTI कानून के दायरे से बाहर हैं, सो ये ख्याल तो दिमाग से निकाल ही दीजिए कि मध्यप्रदेश भाजपा आगे बढ़कर कोई हिसाब देगी! बात सिर्फ “जन आशीर्वाद यात्रा” तक ही केन्द्रित है क्योंकि इसके नायक मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान हैं और भारतीय जनता पार्टी सारथी की भूमिका में है।

मामला लगातार चौथी बार राज्यसत्ता हासिल करना है। हो सकता है कि अक्टूबर अंत तक “आचरण संहिता” न लगाई जाए, पर मुख्यमंत्रीजी तो 14 जुलाई 2018 से ही यात्रा पर निकल पड़े हैं। जहां-जहां से भी यात्रा निकाली जा रही है, वहां जाओ या मत जाओ, लेकिन भले मानुस तो कह ही देते हैं कि सब सरकारी तामझाम है। जिधर-जिधर राज्य के मुखिया जाएंगे, उधर-उधर सरकारी अमला भी पहले ही पहुंच जाएगा।

सूबे के राजा यदि टप्पा-तहसील में जाएंगे तो पटवारी से लेकर SDM और कांस्टेबल से लेकर SDOP तक “व्यवस्था” के लिए तैनात हो जाते हैं। जिले का भार कलेक्टर-एसपी साहबान पर होता है। संभाग की जिम्मेदारी कमिश्नर, आईजी-डीआईजी वगैरह पर आ जाती है। मगर हकीकत में ये सभी अफसरान टप्पे से लेकर संभाग तक हर यात्रा में एक साथ प्रत्यक्ष अथवा छिपते-छिपाते दिख ही जाते हैं। चूंकि ये सब ‘फील्ड’ में होते हैं, तो इनके दफ्तरों में तोते उड़ते रहते हैं।

यात्रा के कर्णधार तो इतने चतुर हैं कि वो Working Day में ही रथ निकालते हैं ताकि पूरा सरकारी महकमा On Duty हो सके।

इसीके साथ स्कूल व कालेज के विद्यार्थी भी उपलब्ध हो जाते हैं, मामाजी के स्वागत के लिए! 100-150 किलोमीटर के दरम्यान आयोजित यात्रा में एक-दो सरकारी कार्यक्रम भी जोड़ लिए जाते हैं, जिससे लोगों को समझाया जा सके कि खामोश अभी हम ही सरकार हैं! इन दिनों जब टिकट हथियाने की चूहा दौड़ चरम पर है, सो नेतानगरी भी आंखों में सूरमा डाल, सिर के बालों को काला कर, झकाझक कपड़ों में लक्झरी गाड़ियों से सब जगह पहुंच जाते हैं। उनके अगल-बगल में नारेबाजी करते पट्ठे भी होते हैं: हमारा नेता कैसा हो, भैयाजी जैसा हो! जब कारवां गुजरता है तो सड़कों के इर्द-गिर्द उतने लोग नहीं होते, जितनी संख्या में वाहन यात्रा में शामिल होते हैं।

डीजल-पेट्रोल की गगनचुंबी कीमतों के बीच आखिर भाई लोग किस तरह 15-20 लाख की काला शीशा जड़ी और फुल एसी में दनदनाती गाड़ियों का खर्च ढो पाते हैं?…गुजरती यात्रा के साक्षात दर्शन करने के बाद हम घरवापसी करने लगे तो मार्ग पर हमें वो ही धूल के गुब्बारे, पैबंद लगी सड़कें, कीचड़-काचड़ और सरेराह पशुओं की धींगामस्ती दिखाई देने लगी….

(संदर्भ: मुख्यमंत्री की 17/9/18 को उज्जैन जिले की तराना-महिदपुर विधानसभा क्षेत्रों में आयोजित जन आशीर्वाद यात्रा)

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