भिया राम.. ..देश की शीर्ष कोर्ट..एक के बाद एक ऐसे फैसले जिन्होंने देश की दशा और दिशा बदल डाली..चाहे वो 3 तलाक का मुद्दा हो चाहे धारा 377..या पदोन्नति में आरक्षण..और अब ये 497.. ..कोर्ट ने कहा ये धारा असंवैधानिक है..फैसले के बाद से देश भर में इस पर प्रतिक्रिया शुरू हो गई है..कोई इसे अच्छा तो कोई संस्कृति विरोधी बता रहा.. ..अब अपना ये कहना है इसमें कि कोर्ट ने ऐसा क्या नया काम कर दिया जिससे हमारी सांस्कृतिक विरासत छिन जाएगी..? ..कोर्ट ने तो जो चारों ओर हो रहा उसे ही कानूनी मान्यता दी है..क्या इस कानून के शिथिल होने के बाद ही विवाहेत्तर संबंध बनने लगेंगे..? ..क्या आज से पहले किसी ने विवाहित होते ऐसा so called ‘पाप’ नही किया..? ..क्या सिर्फ इस कानून पर ही हमारी संस्कृति टिकी है..? ..क्या 7 फेरों के बंधन पर ये धारा भारी थी..? ..अरे ये तो उस अमूल्य संस्कृति का देश है जहां रिश्ते कानूनी धाराओं नही,मन के बंधनों पर टिके हैं..जोड़ियां आज भी स्वर्ग के माथे मढ़ी जाती हैं..आज भी मनमुटाव होने पर रिश्ते बच्चों के नाम ताउम्र खींचे जाते हैं..आज भी डोली वाले घर से अर्थी निकले,ऐसे पाठ पढ़ाये जाते हैं.. ..और हाँ..ऐसे ही सुसंस्कृत समाज मे पहले भी विवाहितों के नाजायज़ संबंध होते थे..आगे भी होंगे..1 धारा के हटने या जुड़ने से कोई फर्क नही आएगा.. पहले भी इस धरती ने विश्व को संस्कार सिखाया था..आगे भी सिखाएगा.. ..जा रिया अब.. ..भारत माता की जय.. विकास शर्माभिया राम.