Thursday, December 26, 2024
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क्या हवस का भी धर्म होता है ?

जैसा कि आप जानते है देश मे महिलाओं और बच्चों के खिलाफ यौन उत्पीड़न चरम सीमा पर है । कठुआ, जम्मू में एक 8 साल की बच्ची के साथ 8 दिन तक सामूहिक बलात्कार किया जाता है । हैवानियत की सारी हदे पार कर दी जाती है फिर उसके टुकड़े जंगल में फेंक दिए जाते है । सबसे ज्यादा शर्म की बात तो यह है कि आरोपियों को बचाने के लिए स्थानीय नेता धरना प्रदर्शन करते है ।

कांग्रेस सरकार में महिलाओं के ऊपर हमले बलात्कार की घटनाओ ने उफान लिया था और चुनाव के दौरान देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एलान किया था बहुत हुऐ महिलाओं पर वार अबकी बार मोदी सरकार लोगो ने और देश की महिलाओं और बेटियो ने भरोसा कर के केंद्र में भारतीय जनता पार्टी को सत्ता दी लेकिन जिस तरह से लगातार बालात्कार की घटनाएं सामने आती रही है, और केंद्र सरकार मौन रही है । अभी उन्नाव का जो घटनाक्रम सामने आया है उसमे आरोपियों को सजा देने और गिरफ्तार करने की जगह पीड़िता के पिता को गिरफ्तार कर उन पर हमला करवाया गया और उनकी मृत्यु हो गयी।

लोग मांग कर रहे है अदालत ने भी तलब किया है लेकिन पूरी भाजपा उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री और अमित शाह के संरक्षण में भाजपा आरोपित विधायक को बचाने में लगे हुए है।

धर्म का खेल किस लिए

कठुआ में जो हुआ उसे राजनीतिक पार्टियां धर्म से जोड़ने में कोई कसर नही छोड़ रही है। क्या इसे धर्म से जोड़ना जरूरी है?
जैसे आतंकवादी का कोई धर्म नही होता वैसे ही बलात्कारी का भी कोई धर्म नही होता। पीड़िता माइनॉरिटी से है इसलिए कुछ पार्टिया आरोपियों के धर्म को जिम्मेदार ठहरा रही है वही कुछ दल आरोपियों का संरक्षण कर रहे है वो रैलिया निकाल रहे है धरने प्रदर्शन कर रहे । जबकि उन्नाव में जो हुआ उसमे पीड़िता मेजोरिटी से है अब आप समझ पाएंगे कि खतरे में कौन है मैजोरिटी या माइनॉरिटी

वही बिहार के रोहतक में एक 6 साल की बच्ची का बलात्कार होता है और वहा कुछ दल सक्रिय है जो आरोपियों को दूसरी जगह संरक्षण देने का काम कर रहे थे क्योंकि यहां आरोपी मुस्लिम है । जब भी देश के किसी तबके के सामने संकट आता है तो प्रधानमंत्री चुप हो जाते है ।
ये चुप्पी का कारण क्या है ?

इतना ही नही कुछ बॉलीवुड की हस्तियां ऐसे मुद्दों पर अपनी रोटी सेकने आजाती है। हाथ मे तख्ती लेकर अपने फोटो डालते है। अपने आप को एक जिम्मेदार नागरिक और आंदोलनकारी की तरह दिखाते है, परन्तु जब बात फ़िल्म इंडस्ट्री में हो रहे कास्टिंग काउच की आती है, ये सब चुप रहते है।
हाल ही में तेलुगु फ़िल्म इंडस्ट्री की एक हीरोइन श्री रेड्डी ने जब कास्टिंग काउच के विरोध में अर्ध नग्न होकर प्रदर्शन कर रही थी तब किसी ने भी उनका समर्थन नही किया। इतना ही नही इस प्रदर्शन के लिए तेलुगु फ़िल्म इंडस्ट्री ने उनका बहिष्कार भी कर दिया,परन्तु किसी ने श्री रेड्डी के लिए आवाज़ तक नही उठायी।

बात साफ है इन सितारों के लिए ये सब करना महज़ एक प्रकार का पेंतरा है जिस से की यह लाइम लाइट में आ सके।यह सब बस इनका दोगला चरित्र दर्शाता है, इस से ज़्यादा कुछ नही।

उसे अपने हाथ और पैर में पता नही था , मेरा दांया हाथ कौनसा है और बाया हाथ कौनसा कभी उसने ये नही समझा होगा कि

हिन्दू क्या होता है और मुसलमान क्या होता है ।

जी हाँ यही है नया भारत।

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