मोदी राज के 4 साल, जनता खुशहाल या बेहाल ?
4 साल में मोदी सरकार ने विकास के कितने काम किये, कितने वादे पूरे किए, कितने वादे अभी भी अधूरे हैं। मोदी के विकास के दावों में कितना दम है?
पीएम नरेंद्र मोदी 26 मई को अपनी सरकार के चार साल पूरे कर रहे हैं। इस दौरान उन्होंने देश को अब तक का सबसे बड़ा टैक्स रिफॉर्म सिस्टम दिया, पुराने दिवालियापन कानून को नया रूप दिया, पुराने रुके हुए प्रॉजेक्ट को फिर से शुरू किया और अपनी परफॉर्मेंस से वर्ल्ड बैंक को यह कहने पर मजबूर कर दिया कि भारत बिजनस करने के लिहाज से दुनिया का तीसरा सबसे बेहतर देश है। हालांकि देश की अर्थव्यवस्था में अभी सब कुछ ठीक नहीं है। ब्लूमबर्ग में छपी एक रिपोर्ट में अर्थव्यवस्था के नजरिए से मोदी सरकार के चार साल का आंकलन किया गया है।
सरकारी और प्रावेट बैंकों में धोखाधड़ी के मामले सामने आ रहे हैं। बैंकों का डूबे हुए कर्ज का ढेर अब तक का सबसे बड़ा हो चुका है। निवेशक मजबूत डॉलर के बीच भारतीय शेयरों और बॉन्डों को खत्म कर रहे हैं। शुरुआती तीन साल के बाद अब एफडीआई में भी कोई खास बढ़ोतरी नजर नहीं आ रही है।
आईए आपको बताते हैं मोदी के इन चार सालों के राज में जनता का क्या हाल है, क्या वो मोदी राज में खुश है या नहीं।
जीएसटी का डंक
सबसे पहले बात करते हैं, जीएसटी की। आधी रात को संसद लगाकर एक एतिहासिक फैसला लिया गया और 1 जुलाई 2017 से सारे देश में जीएसटी लग गई। इस जीएसटी से कुछ वस्तुओं में राहत मिली तो कुछ ने तो कमर ही तोड़ दी। जीएसटी का विरोध सबसे पहले पीएम मोदी के गुजरात में ही होने लगा। व्यापारी सड़कों पर उतरे और कई कई दिनों तक दुकानें, शोरुम सब बंद करके रखे। सरकार के खिलाफ लोगों का गुस्सा इस कदर दिख रहा था कि सारे भारत में हर हर मोदी की जगह पर हाय हाय मोदी गूंजने लगा।
जीएसटी का विरोध भारत के किस कोने में नहीं हुआ, यह बता पाना मुश्किल है। लेकिन रातों रात लिए फैसले से जनता को राहत उस समय. मिली जब जीएसटी काउंसिल की पहली बैठक हुई और कुछ वस्तुओं के दाम कम हुए। लेकिन बड़े व्यापारियों को लाभ न के बराबर मिला। एेसे में जनता तो बेहाल ही रही।
जीडीपी
आंकड़े बताते हैं कि मोदी के जीडीपी कैलकुलेट करने के तरीके बदलने के बाद देश की अर्थव्यवस्था में जबरदस्त तेजी आई। नवंबर 2016 में अचानक नकदी पर शिकंजा कसने से उन लाभों को खत्म कर दिया और मार्च में समाप्त हुए वित्त वर्ष में 2.3 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था में पिछले चार साल की सबसे धीमी रफ्तार का अनुमान लगाया गया। मोदी जैसे-जैसे अपने कार्यकाल के अंतिम वर्ष में पहुंचे चीन के मुकाबले भारत की जीडीपी चीन से कुछ पीछे नजर आ रही है।
मोदी ब्रांड के दीवानी दुनिया
देश में मोदी सरकार ने 4 साल पूरे कर लिये हैं। इन चार सालों में मोदी नाम का ब्रांड सारी दुनिया में मशहूर हुआ है। फऱिर चाहे देश में मोदी की रैलियों में इक्ठा हुए लोग हों,या फिर लंदन गए मोदी के स्वागत के लिए सारी रात ठंड में खड़े लोग हों। हर जगह मोदी के चर्चे होते रहे और उनकी लोकप्रियता बढ़ती गई।
इन चार सालों में मोदी ने अपने संबंध विदेशों के साथ काफी अच्छे कर लिये। जापान से लेकर अमेरिका तक सबके साथ भारत ने अपने संबंध मजबूत कर लियेऔर इतने मजबूत की जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे तो मोदी के बड़े फैन हो गए। उनसे मिलने के लिए वो हमेशा उत्सुक रहते हैं। दुनिया में मोदी ने हर देश के साथ संबंध सुधारे और हर कहीं से कोई न कोई नई चीज सीखी और अपने देश के लिए कुछ नया करने का आईडिया लेकर आए। उनकी यह रणनीति देश की जनता को बहुत पसंद आई। इसी का कारण है कि गुजरात जीएसटी लग जाने से नाजार चल रहे लोगों ने फिर से मोदी सरकार का साथ देने का मन बनाया और बीजेपी को बड़ी पार्टी के रुप में उभारा।
हाल ही में हुए कर्नाटक चुनावों की बात करें तो अमित शाह ने तो साफ कहा कि कर्नाटक का जनादेश तो बीजेपी के साथ ही था। सबसे ज्यादा सीटें जीतकर बीजेपी कर्नाटक में बड़ी पार्टी बनी, लेकिन कांग्रेस ने जेडीएस के साथ गठबंधन की सरकार बना ली।
ट्रेड डेफिसीट
सोने के लिए भारत के बढ़ते प्यार और कच्चे तेल की कीमतों में वृद्धि ने देश के व्यापार को घाटे में रखा है। बीजेपी सरकार के दौरान यह घाटा बढ़ा है। चीन के साथ बहुत घनिष्ठ संबंध न होने के बावजूद चीन से भारत का आयात बढ़ा है। भारत अमेरिका के साथ एक व्यापार अधिशेष चलाता है, लेकिन इससे मुद्रा में हेरफेर के लिए भारत को यूएस ट्रेजरी की वॉच लिस्ट में रखता है।