Friday, November 22, 2024
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जानिए पंचमुखी हनुमान क्या है और उनके पांच चेहरे क्या दर्शाते हैं

जब भगवान राम जी और रावण की सेना के मध्य भयंकर युद्ध चल रहा था और रावण अपने पराजय के समीप था तब इस समस्या से उबरने के लिए उसने अपने मायावी भाई अहिरावनको याद किया जो मां भवानी का परम भक्त होने के साथ साथ तंत्र मंत्र का का बड़ा ज्ञाता था।

उसने अपने माया के दम पर भगवान राम की सारी सेना को निद्रा में डाल दिया तथा राम एव लक्ष्मण का अपरहण कर उन्हें पाताल लोक ले गया।कुछ समय बाद जब माया का प्रभाव कम हुआ तब विभिषण ने यह पहचान लिया कि यह कार्य अहिरावन का है और उसने हनुमान जी को श्री राम जी और लक्ष्मण जी की सहायता करने के लिए पाताल लोक जाने को कहा। पाताल लोक के द्वार पर उन्हें उनका पुत्र मकरध्वजमिला और युद्ध में उसे हराने के बाद बंधक श्री राम और लक्ष्मण से मिले।

वहां पांच दीपक उन्हें पांच जगह पर पांच दिशाओं में मिले जिसे अहिरावण ने मां भवानी के लिए जलाए थे। इन पांचों दीपक को एक साथ बुझाने पर अहिरावन का वध हो सकता था इसी कारण हनुमान जी ने पंचमुखी रूप धरा।

  • उत्तर दिशा में वराह मुख,
  • दक्षिण दिशा में नरसिंह मुख,
  • पश्चिम में गरुड़ मुख,
  • आकाश की तरफ हयग्रीव मुख एवं
  • पूर्व दिशा में हनुमान मुख

इस रूप को धरकर उन्होंने वे पांचों दीप बुझाए तथा अहिरावण का वध कर राम,लक्ष्मण को उस से मुक्त किया।


इसी प्रसंग में हमें एक दूसरी कथा भी मिलती है कि जब मरियल नाम का दानव भगवान विष्णु का सुदर्शन चक्र चुराता है और यह बात जब हनुमान को पता लगती है तो वह संकल्प लेते हैं कि वे चक्र पुनः प्राप्त कर भगवान विष्णु को सौप देंगे।

मरियल दानव इच्छानुसार रूप बदलने में माहिर था अत: विष्णु भगवान जी ने हनुमानजी को आशीर्वाद दिया, साथ ही इच्छानुसार

  • वायुगमन की शक्ति के साथ गरुड़-मुख,
  • भय उत्पन्न करने वाला नरसिंह-मुख,
  • हयग्रीव मुख ज्ञान प्राप्त करने के लिए तथा
  • वराह मुख सुख व समृद्धि के लिए दिया था।

पार्वती जी ने उन्हें कमल पुष्प एवं यम-धर्मराज जी ने उन्हें पाश नामक अस्त्र प्रदान किया। आशीर्वाद एवं इन सबकी शक्तियों के साथ हनुमान जी मरियल पर विजय प्राप्त करने में सफल रहे। तभी से उन के इस पंचमुखी स्वरूप को भी मान्यता प्राप्त है।

जय श्री राम ।।

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